क्यों प्रसिद्ध है सिद्धिविनायक मंदिर


नए साल में लोग घूमने-फिरने का प्लान बनाते हैं। खास कर धार्मिक स्थलों पर साल के आखिरी दिनों और नए साल की शुरुआत पर काफी भीड़ देखने को मिलती है। खासकर मुंबई के  इस सिद्धिविनायक मंदिर में इस दौरान श्रद्धालुओं का जमावड़ा रहता है। यहां देश ही नहीं,बल्कि विदेशों से भी लोग बप्पा के दर्शन करने आते हैं। जानिए क्या खासियत है मुंबई के सिद्धिविनायक मंदिर की जहां बड़े-बड़े स्टार, नेता, उद्योगपति आकर अपनी हाजिरी लगाते हैं।


सिद्धिविनायक मंदिर की खासियत


सिद्धिविनायक  मंदिर भगवान गणेश के सबसे लोकप्रिय तीर्थ स्थलों में से एक है। कहा जाता है कि भगवान गणेश का सिद्धिविनायक स्वरूप भक्तों की हर मुराद पूरी करता है। इनकी सूंड दायीं ओर मुड़ी होती है। कहा जाता है कि इस मंदिर की संरचना पहले काफी छोटी थी, ईंटों से बनी हुई थी और इसमें गुंबद आकार का शिखर था। बाद में इस मंदिर को फिर से बनाया गया।


किसने करवाया निर्माण


जानकारी के मुताबिक इस मंदिर का निर्माण कार्य 19 नवंबर,1801  को शुरू किया गया था, जो एक लक्ष्मण विथु पाटिल नाम के एक ठेकेदान ने करवाया था। जिसकी धनराशि एक कृषक महिला ने दी थी। कहा जाता है कि इस महिला की कोई संतान नहीं थी। उसने मंदिर के निर्माण कार्य में अपनी सहायता करने की इच्छा जताई। उस औरत की इच्छा थी कि जहां भगवान का आशीर्वाद पाकर कोई महिला संतानहीन न रहे,सबको संतान सुख की प्राप्ति हो।


सिद्धिविनायक का स्वरूप


सिद्धिविनायक को 'नवसाचा गणपति' या 'नवसाला पावणारा गणपति' के नाम से जाना जाता है। ये नाम मराठी भाषा में हैं, जिसका मतलब है कि जब कोई भक्त सिद्धिविनायक की सच्चे मन से प्रार्थना करता है, तो बप्पा उसकी मनोकामना अवश्य पूरी करते हैं। इस मंदिर के अंदर एक छोटे मंडपम में भगवान गणेश के सिद्धिविनायक स्वरूप की प्रतिमा स्थापित की गई है। उनके ऊपरी दाएं हाथ में कमल और बाएं हाथ में अंकुश और नीचे के दाहिने हाथ में मोतियों की माला और बाएं हाथ में मोदक(लड्डूओं)भरा कटोरा है। गणेश जी के दोनों ओर उनकी पत्नियां ऋद्धि और सिद्धि विराजमान हैं। मस्तक पर तीसरा नेत्र और गले में सर्प हार के स्थान पर लिपटा है।


भारत के अमीर मंदिरों में शामिल


यह मंदिर भारत के अमीर मंदिरों में से एक है। जानकारी के अनुसार यहां हर साल काफी मात्रा में धन राशि दान के रूप में दी जाती है। इस मंदिर की देखरेख करने वाली संस्था मुंबई की सबसे अमीर संस्था है।


 


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