लखनऊ में मोदी ने दिया उपद्रवियों को सख्त संदेश, नागरिकों को कराया कर्तव्य का बोध


अजय कुमार


प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का एक दिवसीय लखनऊ दौरा कई मायनों में खास रहा। पीएम का लखनऊ आने का कार्यक्रम काफी पहले से तय था, लेकिन यह खास इस लिए बन गया क्योंकि पिछले दस दिनों में उत्तर प्रदेश ने काफी कुछ सहा था। नागरिकता संशोधन बिल जिसमें तीन मुस्लिम देशों के अल्पसंख्यक हिन्दुओं, सिख, इसाइयों को भारत की नागरिकता दिए जाने का प्रावधान किया गया था, के खिलाफ एक वर्ग विशेष के लोगों ने पूरे प्रदेश को हिंसा की आग में झोंक दिया था। करीब डेढ़ दर्जन लोग मौत के मुंह में चले गए थे। इस हिंसा का सबसे दुखद पहलू यह था कि उपद्रवियों ने सरकारी और निजी संपत्तियों को तो नुकसान पहुंचाया ही, इसके साथ−साथ पुलिस कर्मी भी उनके निशाने पर रहे। आजाद देश के इतिहास में शायद यह पहला मौका था जब पुलिस को खासकर निशाना बनाया गया था। उपद्रवियों के हमले का शिकार होने वाले पुलिस कर्मियों में कई को गंभीर चोटें भी आईं। उपद्रवियों ने हिंसा की तो इस पर नेताओं द्वारा भी खूब सियासी रोटियां सेकीं गईं। दंगा करने वालों को उकसाया गया। इन नेताओं द्वारा जरा भी इस बात का विचार नहीं किया गया कि नागरिकता संशोधन बिल देश हित के लिए कितना जरूरी है। कांग्रेस, सपा−बसपा ने उक्त बिल को भाजपा की कथित साम्प्रदायिक सोच से जोड़कर पलीता निकाल दिया। उपद्रवियों के खिलाफ योगी सरकार ने सख्ती दिखाई तो यह भी तुष्टिकरण की सियासत करने वालों को रास नहीं आया। आखिर मामला मुस्लिम वोट बैंक की सियासत से जो जुड़ा था।


गैर भाजपा दलों ने नागरिकता संशोधन बिल के खिलाफ हुई हिंसा को ऐसे पेश किया मानो पूरा उत्तर प्रदेश उक्त बिल के विरोध में खड़ा हो गया हो, जबकि हकीकत कुछ और थी। नागरिकता संशोधन बिल का विरोध करने वालों से कहीं बड़ी संख्या इसका समर्थन करने वालों की थी, लेकिन यह लोग बिल के समर्थन में सड़कों पर नहीं निकले थे, इसलिए उनकी सोच को दबा दिया गया। मुस्लिम वोट बैंक के चक्कर में कुछ गैर भाजपाई नेता तो यही भूल गए कि वह देश तोड़ने वाली शक्तियों के साथ खड़े हैं। वोट बैंक के चक्कर में प्रदेश में दंगा फैलाने वाले कई लोगों के घर तक पर कांग्रेस-सपा के नेता नाक रगड़ने पहुंच गए। यह और बात थी कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पूरे मामले को गंभीरता से लिया, इसी वजह से दंगाइयों के हौसले तो पस्त हुए ही, अब उनकी पकड़−धकड़ भी तेजी से हो रही है।
बहरहाल, दंगा−फंसाद से जूझ रहे उत्तर प्रदेश में जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपनी ही पार्टी के दिग्गज नेता और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की लोकभवन में लगी कांस्य प्रतिमा का लोकार्पण करने लखनऊ पहुंचे तो सबके मन में यही सवाल था कि पीएम मोदी यूपी के दंगों पर कैसे रिएक्ट करेंगे। मोदी ने जब बोलना शुरू किया तो उन्होंने नागरिकता संशोधन बिल के नाम पर अफवाहों के आधार पर हुए दंगों सहित सभी मुद्दों पर गंभीरता से अपनी बात रखी। अपने संबोधन के दौरान कभी वह अभिभावक की भूमिका में नजर आए तो कभी हेड मास्टर जैसे दिखे। उन्होंने जनता को याद दिलाया कि अगर आपके कुछ अधिकार हैं तो देश के प्रति आपकी कुछ जिम्मेदारियां और कर्तव्य भी हैं। मोदी ने अटल जी के नाम पर कई योजनाओं की घोषणा की तो प्रदेश के गिरते भू−जलस्तर से भी चिंतित दिखे। लब्बोलुआब यह है कि प्रधानमंत्री ने साफ संकेत दे दिए कि वह किसी डर या ओछी सियासत के चलते देश को उसके हाल पर नहीं छोड़ सकते हैं। बल्कि उनका मकसद तो चुनौतियों को चुनौती देने का है, जिसका उनके द्वारा कोई मौका नहीं छोड़ा गया।
चर्चा इस बात की हो कि प्रधानमंत्री के दौरे से प्रदेश को क्या मिला तो पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिन पर अटल भूजल योजना की शुरूआत कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक और उपयोगी योजना की नींव रखकर प्रदेश को काफी कुछ प्रदान कर दिया। छह हजार करोड़ रुपये वाली इस योजना का उद्देश्य प्रदेश के लगातार गिरते भूजल स्तर को उठाना और जल संकट से निपटना है। यह योजना प्रदेश सहित देश के उन सात राज्यों पर केंद्रित है जहां भूमिगत जल का स्तर नीचे जा रहा है। प्रधानमंत्री ने उक्त योजना की नींव तो रखी ही इसके साथ वह यह कहना भी नहीं भूले कि वक्त की यह मांग है कि सभी राज्य अपने प्रयासों से भी भूमिगत जल स्तर को उठाने का प्रयास करें। जल को संरक्षित करने का काम केवल केंद्र सरकार के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश में जल संरक्षण के उपायों को मजबूती प्रदान करने को अपनी गंभीरता का परिचय तभी दे दिया था जब दोबारा सत्ता में आने के बाद जल संसाधन और पेयजल मंत्रालय को मिलाकर जल शक्ति मंत्रालय का गठन किया गया था। ऐसा करके मोदी सरकार जल जीवन अभियान के तहत हर घर को नल से जल पहुंचाने की योजना पर काम कर रही है। यह एक महत्वाकांक्षी योजना ही नहीं बल्कि बढ़ते जल संकट के बीच जरूरी चीज भी है। वास्तव में ऐसी योजनाओं के जरिये ही भावी जल संकट से जूझा जा सकता है। मोदी सरकार जल संबंधी जिन भी योजनाओं पर आगे बढ़ रही है उन्हें वैसी ही सफलता मिले जैसी विकास एवं जनकल्याण संबंधी अन्य योजनाओं को मिली है तो काफी सुखद रहेगा।
खैर, ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब प्रधानमंत्री मोदी का लखनऊ दौरा सुर्खियां बटोर रहा हो। पीएम मोदी उत्तर प्रदेश की यात्रा पर जब भी आते हैं तो उनके दौरे की खूब चर्चा होती है। मोदी यूपी की महत्ता जानते हैं। वह वाराणसी से सांसद तो हैं ही यूपी की वजह से ही उनकी सरकार को बहुमत हासिल है। इसलिए पीएम यूपी पर विशेष ध्यान देते हैं। इस बार भी 'बड़े दिन' पर लखनऊ आए मोदी अपने विरोधियों के सामने सियासत की लम्बी लकीर खींचकर चले गए।
 


 


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