मंत्रिमंडल ने चौथे चरण के दिल्ली मेट्रो के तीन प्राथमिकता कॉरीडोरों के लिए वित्तपोषण (फंडिंग) स्वरूप में संशोधन को मंजूरी दी
24,948.65 करोड़ रुपये की कुल परियोजना लागत में किसी प्रकार का परिवर्तन नहीं किया गया है। भारत सरकार का योगदान मौजूदा 4,154.20 करोड़ रुपये से बढ़कर 4,643.638 करोड़ रुपये हो गया है, जिसके फलस्वरूप 489.438 करोड़ रुपये की शुद्ध बढ़ोतरी हुई है। डीएमआरसी द्वारा पुनर्भुगतान किए जाने वाले द्विपक्षीय/बहुपक्षीय एजेंसियों से प्राप्त बाहरी ऋण की कुल रकम मौजूदा 11,462.60 करोड़ रुपये से बढ़कर 12,930.914 करोड़ रुपये हो गई है। इस प्रकार कुल 1,468.314 करोड़ रुपये की शुद्ध बढ़ोतरी हुई है।
पृष्ठभूमिः
दिल्ली मेट्रो चरण-IV परियोजना के तीन प्राथमिकता कॉरीडोरों को भारत सरकार ने मार्च 2019 में मंजूर किया था, जिसकी कार्यपूर्णतः लागत 24,948.65 करोड़ रुपये थी। वित्त पोषण के स्वरूप को मेट्रो रेल नीति, 2017 के प्रावधानों के अनुरूप रखा गया। अप्रैल 2019 में जीएनसीटीडी ने डीएमआरसी को निर्देश दिया था कि जब तक आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय उनके द्वारा स्वीकृति के आधार पर लागत की साझेदारी के स्वरूप में संशोधन नहीं कर देता, तब तक स्वीकृत कॉरीडोरों पर काम शुरू नहीं किया जाए। उच्चतम न्यायालय के दखल के बाद जुलाई 2019 में कार्य शुरू किया गया। उच्चतम न्यायालय ने 6 सितंबर, 2019 के अपने आदेश में मेट्रो रेल नीति, 2017 के प्रावधानों को वैध ठहराया था। ये प्रावधान परिचालन नुकसानों को सहन करने, बाहरी ऋण के पुनर्भुगतान तथा स्पेशल पर्पज व्हीकल (इस मामले में डीएमआरसी) के विफल होने के मामले में राज्य द्वारा मौद्रिक उतार-चढ़ाव लागत से सम्बंधित थे। उच्चतम न्यायालय ने निर्देश दिया है कि केवल दिल्ली के मामले में नीति के संशोधन लागू किए जाएं और जमीन की कीमत को केन्द्र सरकार तथा जीएनसीटीडी के बीच 50:50 के अनुपात में वहन किया जाए। मेट्रो रेल नीति, 2017 के सम्बंधित पैराग्राफ में भी तदनुसार संशोधन किया गया है।