एक्टिंग छोड़ प्रोड्यूसर बनेंगे अजय देवगन

बोले- मुझे निकाला जाए, उससे पहले खुद ही बाहर हो जाना चाहता हूं



अभिनेता अजय देवगन का कहना है कि वे आने वाले सालों में पूरी तरह प्रोड्यूसर बन जाएंगे। उन्होंने एक बातचीत में कहा, "मैं जानता हूं कि एक्टर्स की सीमा होती है। कुछ साल बाद मैं मेनस्ट्रीम एक्टर नहीं रह सकता और मुझे कैरेक्टर रोल करने पड़ सकते हैं। इसलिए मेरा फोकस धीरे-धीरे ही सही प्रोडक्शन पर होगा।" जब उनसे पूछा गया कि क्या लाइमलाइट का नशा नहीं होता? तो उन्होंने मुस्कराते हुए कहा, "बिल्कुल होता है। लेकिन मैं इसे पकड़कर नहीं रख सकता। इससे पहले कि मुझे निकाला जाए, मैं खुद ही इससे बाहर हो जाना चाहता हूं।"


100वीं फिल्म के प्रमोशन में व्यस्त अजय


अजय देवगन इन दिनों अपनी 100वीं फिल्म 'तानाजी : द अनसंग वॉरियर' के प्रमोशन में व्यस्त हैं, जो 10 जनवरी को रिलीज हो रही है। जब उनसे पूछा गया कि क्या फिल्म की रिलीज को लेकर उन्हें किसी तरह का डर है? जवाब में वे कहते हैं, "मुझे डर नहीं लगता। लेकिन चिंता जरूर होती है कि क्या होगा? क्योंकि पूरी टीम कड़ी मेहनत करती है।"


अजय आगे कहते हैं, "मैं लोगों से उम्मीद करता हूं कि वे फिल्म देखें और पसंद करें। क्या होगा, जब आप कहीं गलत हो जाएं और लोगों को फिल्म पसंद न आए? यह बिल्कुल परीक्षा परिणाम का इंतजार करतें जैसा है। आपको पता नहीं होता कि दर्शक किस तरह प्रतिक्रिया देने वाले हैं। इसे लेकर चिंता होती है।"


पिता से सीखीं तकनीक की बारीकियां


अजय देवगन की मानें तो टीनएज से ही वे फिल्मों की एडिटिंग और डायरेक्शन करते आ रहे हैं। उनके पिता वीरू देवगन ने उन्हें फिल्म और एडिटिंग तकनीक की बारीकियां सिखाईं। वे सीखते थे और घर में उसे प्रयोग में लाकर आउटपुट पिता को दिखाते थे। इसके बाद उन्होंने अपनी फिल्मों की शूटिंग शुरू की। वे सेट बनाते थे और ट्रालीज, क्रेन्स समेत शूटिंग से जुड़ी हर चीज का इस्तेमाल वहां करते थे।


वे कहते हैं, "मुझे वाकई इसमें मजा आता था। और यहीं से मैंने फिल्ममेकर शेखर कपूर और उसके बाद दीपक शिवदासानी को असिस्ट करना शुरू किया। लेकिन मैंने वे सभी शॉट्स और सीक्वेंस खो दीं, जिन्हें मैंने देखा और एडिट किया था।"


एक्टिंग को लेकर सीरियस कब हुए?


जब अजय से पूछा गया कि वे एक्टिंग को लेकर सीरियस कब हुए तो उन्होंने कहा, "जब मैंने 'फूल और कांटे' (1999) की शूटिंग शुरू की थी। मेरा मानना है कि अगर आप कुछ करना चाहते हैं तो वह सही तरीके से करना चाहिए, अन्यथा आप वह नहीं कर सकते। जिस दिन मैं सेट पर पहुंचा था, उसी दिन सीरियस हो गया था। फिल्म रिलीज हुई और चल निकली तो जिम्मेदारी आ गई। चूंकि लोगों ने मुझे पसंद किया था,  इसलिए मुझे यह सुनिश्चित करना पड़ा कि मैं अच्छा काम करता रहूं।"


Popular posts from this blog

भारत विदेश नीति के कारण वैश्विक शक्ति बनेगा।

स्वरोजगारपरक योजनाओं के अंतर्गत ऑनलाइन ऋण वितरण मेले का किया गया आयोजन

बांसडीह में जाति प्रमाण पत्र बनाने को लेकर दर्जनों लोगों ने एसडीएम को सौपा ज्ञापन