एशिया की सबसे बड़ी पंखा मार्केट का सीजन अंधेरे में निकला

नई दिल्ली


दिल्ली के बसई दारापुर में पंखों का व्यापार सबसे ज्यादा होता है। एशिया की सबसे बड़ी पंखा मार्केट लॉकडाउन के कारण पूरी तरह बंद है, जिसकी वजह से यहां के दुकानदार काफी निराश हैं।
दुकानदारों का कहना है कि सरकार इन दुकानों के लिये ऑड-इवन लागू कर दे, क्योंकि 3 महीने के सीजन में हम कमाते थे और पूरे साल खाते थे, लेकिन यह 3 महीने भी चले गए और आने वाला साल भी चला गया।


दिल्ली के बसई दारापुर स्थित फेन मार्केट मैन्युफैक्च र्स एंड ट्रेडर्स एसोसिएशन के प्रेसिडेंट ज्ञानेश्वर ने आईएएनएस को बताया, "सन 70 से यह मार्केट चली आ रही है और यह एशिया की सबसे बड़ी पंखे की मार्केट है, जहां मैनुफेक्च रिंग होता है और स्पेयर पार्ट्स मिलते है और यहां करीब 200 दुकान ऐसे है, जहां पंखे बिकते है वहीं करीब 400 फेक्ट्री यूनिट्स है जहां पंखे के पार्ट्स बनते हैं।


उन्होंने बताया, "हमारे यहां सबसे सस्ता पंखा मिलता है एक पंखे की कीमत करीब 300 रुपये से 1000 रुपये है। यहां गरीब आदमी ज्यादा आता है क्योंकि वो महंगा पंखा नही खरीद सकता गरीब के लिए उम्मीद है जिससे वो जाकर अपने बच्चों को चैन की नींद सुला सके।"


उन्होंने कहा, "हम सरकार से गुजारिश करते है कि सभी दुकानों को खोलने के लिये ऑड -इवन लागू कर दे, जिससे सोशल डिस्टेंसिंग का पालन भी हो सकेगा और हम भी रोजी रोटी का इंतजाम कर सकें। हम सरकार को पत्र भी लिखेंगे की ऑड इवन लागू करें, हमे बस अंधेरा नजर आ रहा है। फरवरी से जून तक हमारा सीजन होता है इसी महीनों से पूरे साल का खर्चा निकालना होता है।"


उन्होंने कहा, "हमारे यहां लगभग सभी की दुकाने रेंट पर है, जिसकी वजह से वो सब ज्यादा परेशान है, लेबर का खर्चा, दुकान का रेंट, अपने बच्चों ध्यान रखना, लेबर के बच्चों का भी ध्यान रखना, जीएसटी देना, बिल जमा करना सब कुछ हमारे ऊपर है लेकिन काम बिल्कुल नही है।"


एशिया की सबसे बड़ी पंखा मार्केट में जहां दुकान मालिक परेशान है तो वहीं इन दुकानों में काम करने वाले लेबर भी परेशान हैं। तकरीबन 3000 से 4000 लेबर इस वक्त बेरोजगार हो गए हैं। लॉकडाउन और इस बीमारी के चलते आधे अपने गांव चले गए है तो कुछ आज भी दुकान मालिकों के भरोसे बैठे हुए हैं। कोरोनावायरस की वजह से जिस तरह इस मार्केट का नुकसान हुआ, इससे ये तो जाहिर है जो मार्केट अन्य लोगों के लिये गर्मियों में हवा का इंतजाम करती थी वो आज खुद हवा बदलने का इंतजार कर रही है।


हमने पंखा मार्केट के एक दुकानदार अजित से बात की।


उन्होंने बताया, "परेशानियां बहुत है, क्या बताए? हम पूरे साल इस सीजन के लिए ही काम करते हैं हमारा माल सारा दुकानों में स्टॉक बन कर रखा हुआ है। इस सीजन काम चलता है तो पूरा साल हमारा खर्चा निकलता।"


उन्होंने बताया, "मैं किराए के मकान में रहता हूं, जिसका कर्जा मेरे ऊपर है और मेरी पंखे की दुकान भी किराये पर है जिसका 10000 रुपये रेंट है, लॉकडाउन में दुकान बिल्कुल बंद पड़ी है। इस सीजन में एक पंखा भी नही बिका। हमें अपनी जान परवाह है इसलिये घर बैठे है लेकिन बिना कमाये खायेंगे क्या?"


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